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गंगोत्री हिमालय की चोटियों पर संजीवनी की खोज में निकले आचार्य बालकृष्ण, NIM देगा साथ

प्रकाश रांगड़, उत्तरकाशी

पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ व बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण गंगोत्री हिमालय की चोटियों पर अभियान दल के साथ मिलकर दुर्लभ संजीवनी बूटी तलाशेंगे। इसके साथ ही ऐसी चोटियां भी तलाशी जायेंगी, जहां आज तक कोई पर्वतारोही आरोहण (Trekking) के लिए नहीं गया। गंगोत्री हिमालय का ये क्षेत्र रक्तवन है, जहां NIM और पतंजलि के सदस्य संयुक्त अभियान के तहत 15 दिनों तक औषधीय वनस्पति और चोटियों का अन्वेषण (Investigation) करेंगे। दल मंगलवार सुबह गंगोत्री के लिए रवाना होगा।

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दल का नेतृत्व आचार्य बालकृष्ण व निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट कर रहे हैं।

सोमवार को निम पहुंचे आचार्य बालकृष्ण ने पत्रकारों को बताया कि पंतजलि ने योग और आयुर्वेद से हटकर एक और साहस का कदम उठाया है। जिसके तहत 12 से 25 सितंबर तक गंगोत्री के रक्तवन ग्लेशियर क्षेत्र में पर्वतारोहण तथा अन्वेषण (खोज) अभियान चलाकर दुर्लभ औषधीय पादपों और आरोहण की नई संभावनाएं तलाशी जाएंगी। जिन चोटियों और दुर्लभ वनस्पतियों से भारत को लाभ हो सकता है, उस दिशा में ये एक साहसिक कदम है। इन क्षेत्रों में जो भी औषधीय पादप और जड़ी बूटियां उपलब्ध हैं, उनका डेटा तैयार कर उनके औषधीय गुणों पर शोध किया जाएगा।

 42 साल बाद रक्तवन के अभियान पर निकला दल

 प्रेस वार्ता में निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि इससे पहले रक्तवन क्षेत्र में 1981 में ज्वाइंट इंडो फ्रेंच एक्सप्लोरेशन (Joint Indo French Exploration Team) टीम ने अन्वेषण का कार्य किया, लेकिन टीम रक्तवन के आरोहण में असफल रही और श्यामण ग्लेशियर से ही नीचे उतर गई। हालांकि टीम ने कुछ नई चोटियों जैसे चतुर्वंशी, श्यामण आदि चोटियों की खोज की। बिष्ट ने कहा कि इस बार हमारी टीम 42 साल बाद रक्तवन ग्लेशियर में लगभग 6 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित अनाम तथा अनारोहित पर्वत शिखरों का आरोहण कर अन्वेषण का कार्य करेगी। जाहिर है, अभियान सफल रहा, तो भारतीय जड़ी-बूटी शोध के क्षेत्र में पंतजलि के लिए ये आरोहण मील का पत्थर साबित होगा। 

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10 सदस्य शामिल हैं अभियान में

इस संयुक्त अभियान में संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट के अलावा संस्थान के दो पर्वतारोहण प्रशिक्षक दीप शाही, विनोद गुसांई और आईएमएफ के प्रतिनिधि बिहारी सिंह राणा भी शामिल होंगे। अभियान में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के कुलपति आचार्य बालकृष्ण समेत कुल 10 सदस्यीय टीम रहेगी। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान भी इसमें अपना सहयोग करेगा।

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1 टिप्पणियाँ

  1. आशा करता हूं कि इसके लिए वन विभाग उत्तराखण्ड सरकार की अनुमति ली गई होगी । हालांकि वनस्पति और औषधीय पौधों पर अन्वेषण के लिए सबसे उपयुक्त विभाग भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण है । पतंजलि पूर्व में भी संजीवनी के नाम पर टी आर पी बटोरने का काम करते आया है ।

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